डा0 मोहम्मद मजीद की कंपनी सामी डायरेक्ट का एक

परिचय:

सामी डायरेक्ट कम्पनी एक मल्टी नेशनल कम्पनी है
जोकि पूर्णतया भारतीय है तथा कम्पनी का मुख्य
कार्यालय व लैब्स् बैंगलौर में स्थित है। कम्पनी के
संस्थापक डा0 मोहम्मद मजीद हैं जिनका जन्म
केरला के एक गाँव में किसान परिवार में हुआ, 1973 में

फार्मेसी की डिग्री पूर्ण करने के उपरांत, 1975 में डाक्टरेट की पढाई करने स्कालरशिप पर
अमेरिका गये, डा0 मजीद अमेरिका
में “फाइजर“ व “चार्टर वलाॅस और पाको रिचर्स“
जैसी बडी कम्पनियों में साइंटिस्ट के पद पर रहे,
अमेरिका में 1980 के दौरान
अमेरिका की पार्लियामेंट में वहां के वाशिंदों के गिरते स्वास्थ्य को लेकर चिंता का विषय बना, लोगों को तरह-तरह की बीमारियाँ हो रही थी,

जिनमें मुख्यतः मोटापा, डायबिटीज, कोलेस्ट्रोल,
हार्टअटैक, दमा, कैंसर, साँस फूलना, याददास्त कमजोर
होना, पुरूषों में सेक्स पावर का कम होना, जोड़ों में दर्द,
स्त्री सम्बंधित रोग और कम उम्र में
बूढ़ा होना आदि सामिल थे। अमेरिका के डा0 लेनिस, जोकि दो बार नोबल पुरूस्कार विजेता रह
चुके थे, के द्वारा अपनी कमेटी की रिर्पोट में
बताया गया कि मनुष्य का शरीर 60 ट्रिलियन
सेल्स से बना है, अगर मनुष्य के शरीर को तीन चीजें
उचित मात्र में उपलब्ध कराई जाये तो मनुष्य 120
साल तक जी सकता है या जब तक वह जिन्दा है तब तक स्वस्थ जीवन यापन कर सकता है। वह तीन आवश्यक

चीजें हैं शुद्ध जल (जोकि आज मिनरल वाटर
या डिस्टिल वाटर द्वारा ही संभव है), शुद्ध
आक्सीजन 21.9 प्रतिशत की मात्र में (जोकि आज
पोल्युशन भरे वातावरण में संभव नहीं)

और 46 पोषक
तत्व जोकि हमारे शरीर के सेल्स को स्वस्थ रख सकें, लेकिन आज के युग में फलों-सब्जियों और अनाज
को खेतों में उगाये जाने से लेकर पैक होने तक, कई तरह
की कैमिकल प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है,
जिससे उनमें पोषक तत्वों क्षमता बहुत कम
हो जाती है, अतः उच्च गुणवत्ता के अनाज, फल व ड्राई
फ्रूट्स खाने से 46 पोषक तत्वों की आपूर्ति नहीं हो पाती, इसलिये इलाज
संभव नहीं है।

उन्होने बताया इस बीमारी से बचने के
लिए अमेरिका से सभी वाहन, मोटर कारें और
गाड़ियाँ हटा दो, सभी उद्योग धंदे बंद कर दिए जाये,
बिजली के समस्त उपकरण-टावर आदि समाप्त कर
दिए जाये, ताकि पोल्यूशन बिलकुल भी न रहे, अमेरिका वाशियों को स्वच्छ एवं नेचुरल वाटर पीने
को मिले और खान-पान में प्रोसेस्ड फूड व
कैमिकल्स का स्तेमाल कतैई ना हो और 46 पोषक
तत्व प्रचुर मात्रा में लिए जायें, तभी अमेरिकन
लोगों के स्वास्थ्य में सुधार संभव है और ये सब
अमेरिका जैसे विकासशील देश के लिए संभव ना था। डा0 मजीद एक भारतीय होने के कारण आयुर्वेद
को जानते थे जबकि उस दौरान अमेरिका में आयुर्वेद
की पावर को कोई नहीं जानता था। साथ ही उन्होंने
देखा, फाइजर कम्पनी के मालिक
सारी दुनियां को अपनी ऐलोपैथिक मैडीसन
खिलाते हैं लेकिन जब उनके परिवार में कोई बीमार होता था तो चाइना से जडी-बूटी मंगा कर और उसे उबाल
कर, उसका अर्क बीमार व्यक्ति को पीलाते थे।


डा0 माजिद ने आयुर्वेद पर गहन रिसर्च कर
अमेरिकियों को ठीक करने का बीडा उठाया। वे
जानते थे कि 46 पोषक तत्व केवल आयुर्वेद से
ही प्राप्त किये जा सकते हैं जिनका कोई साइड इफेक्ट भी नही होता।

डा0 माजिद ने अपने
साथियों की मदद से आयुर्वेद पर रिसर्च की और
दुनियां की पांचवी पैथी मार्डन
आयुर्वेदा यानी “ऐलोवेदा“ को जन्म

दिया जोकि एक क्रांतिकारी खोज “मोलेक्यूल
टेक्नोलाॅजी“ पर आधारित थी, “मोलेक्यूल टेक्नोलाॅजी“ का अर्थ अणु विज्ञान तकनीक है। आयुर्वेद की खोज 5000 वर्ष पूर्व महर्षि चरक के
द्वारा की गयी थी, सैकड़ो वर्षों से आयुर्वेद में एक
ही थ्योरी काम कर रही थी कि यदि “जिंजर“
यानि अदरक का कैप्सूल बनाना है तो कही से
भी अदरक लो सुखाओ, पीसो और कैप्सूल में भर दो,
जबकि अदरक के भीतर “एक्टिव मोलेक्युल्स“ की जानकारी होनी चाहिए। ये मोलेक्युल्स अदरक में
कही 10 प्रतिशत पाए जाते हैं कही 90 प्रतिशत,
इसका जानकारी होना अति आवश्यक है, 10
किलो अदरक में मात्र 50 से 100 मिली मोलेक्युल्स
ही प्राप्त हो सकते हैं। ये चमत्कार दुनियां में
पहली बार डा0 मजीद ने किया, जोकि महान भारत के नागरिक हैंे ये हमारे देश वासियों के लिये बड़े
ही गौरव की बात है। डा0 मजीद ने सन् 1988 में “न्यू जर्सी“ यू0एस0ए0 में

“सबिंसा लेब“ की स्थापना की और 1996 में
काली मिर्च के मोलेक्युल्स् का “बायोप्रिन“ के नाम से पहला पेटेंट कराया,

एक पेटेंट का सालाना खर्चा रू0
3.5 करोड़ के लगभग रहता है, डा0 मजीद
की कंपनी अब तक 180+ पेटेंट करा चुकी है, और 250 से अधिक इंटरनैशनल और यू0एस0 पेटेंट्स के लिए
एपलाई किया हुआ है।
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